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श्री श्याम प्रेम मण्डल

श्री श्याम प्रेम मण्डल का वृत्तांत

जय श्री श्याम,

आप सभी प्रबुद्ध श्याम भक्तों के समक्ष मैं, आपके व हमारे सामाजिक संस्थान “श्री श्याम प्रेम मण्डल , उल्हासनगर” की स्थापना से लेकर अभी तक के सफर का एक सारगर्भित जीवन-वृत्तांत प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूँ । इसी के फलीभूत आशा करता हूँ कि इस ‘डिजीटल’ वर्ल्ड में युवा पीढ़ी को हमारी ‘समृद्ध सांस्कृतिक व धार्मिक परम्परा’ रूपी अमूल्य धरोहरों से अवगत करवाकर उनके जीवन में नैतिक व धार्मिक मूल्यों को प्रतिस्थापित कर सकूँ।

इस सुहावने सफर की शुरूवात श्रीश्याम प्रभु की प्रेरणा से दो घनिष्ठ मित्रों के मन में उपजे उत्तम विचार को मूर्तरूप देने की कल्पना से होती है…… यह सन् १९९० की बात है, जब श्री कृष्णकुमारजी शाह व श्री महेंन्द्रकुमारजी शर्मा ने खाटू से सैकड़ों मील दूर उल्हासनगर की धरा पर खाटू धाम जैसा भक्तिमय वातवरण निर्मित करने के मार्ग पर अपना पहला कदम बढ़ाते हुए दिनांक ५ फरवरी १९९० सक् संवत् २०४६ के फाल्गुन माघ की शुक्ल पक्ष की एकादशी वार सोमवार को उल्हासनगर में ‘अशोक अनिल टॉकीज’ के पास स्थित ‘श्री श्याम मन्दिर’ के प्रांगण में सादगीपूर्ण माहौल में पूर्ण वैदिक विधि-विधान के साथ मण्डल की स्थापना की ।

अब यह यात्रा अपने उदेश्यों की प्राप्ति की ओर अपने नन्हें नन्हें कदम बढ़ाते हुए वर्ष १९९१ में प्रवेश कर चुकी थी और इस उपलक्ष्य में “श्री श्याम प्रेम मण्डल, उल्हासनगर” नें सक् संवत् २०४७ के फाल्गुन-माघ की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि वार शनिवार दिनांक १६ फरवरी की प्रातः बेला में ‘फर्निचर बजार’, उल्हासनगर में स्थित ‘बजाज हॉल’ में’शीश के दानी’ की अखण्ड ज्योत का आवाहन कर अपने ‘प्रथम-वार्षिक महोत्सव’ का आगाज बड़ी धूमधाम से कर दिया। महोत्सव में इतना ज्यादा उत्साह था कि यह अखण्ड रूप से अगले दिवस अर्थात १७फरवरी वार रविवार को रात्रि बाबा की भोग आरती तक अनवरत जारी रहा । उसके उपरान्त उपस्थित सभी भक्तों ने बाबा का महाप्रसाद इस संकल्प के साथ ग्रहण किया कि अब यह कारवाँ मानवता की सेवा व धार्मिकता के प्रचार-प्रसार में अनन्तकाल तक चलता रहे ।

इसी क्रम में यहाँ संक्षिप्त में कुछ और सेवाभावी कार्यों के परिचय के माध्यम से पुनः मण्डल के उदेश्यों को रेखांकित करने के प्रयास में मैं आपको बताना चाहता हूँ कि …

संस्थान ने विगत ३४ वर्षों की इस यात्रा में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ अनेक सामाजिक एवम् सांस्कृतिक क्रार्यक्रमों का सफल आयोजन किया है। उदाहरणार्थ ‘अनाथ आश्रम’ में प्रत्येक रविवार को भोजन वितरित किया जाता है, वहीं समय समय पर वृद्धाश्रम में कपड़े व फल इत्यादी वितरित किए जाते हैं।

हमारे सेवा कार्यो की श्रृंखला में विगत कई वर्षो से निःशुल्क चिकित्सा शिविरों का सफल आयोजन किया जाता है । जिसमें नेत्र चिकित्सा, मधुमेह, ब्लड प्रेशर इत्यादी रोगों के नियंत्रण हेतु निशुल्क औषधी वितरण व विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा उचित परामर्श दिया जाता है। यहाँ मैं मण्डल के स्वंयसेवकों के द्वारा कोरोनाकाल के कठिन समय में की गई सेवाओं पर भी प्रकाश डालना आवश्यक समझता हूँ। जिसमें हमारे युवा साथियों नें आम्बिवली, शहाड, टिटवाला, उल्हासनगर, कल्याण में जरूरतमंदो के लिए भोजन व खाद्य सामग्री का सुचारू रूप से वितरण किया | मण्डल सदैव अपने सामाजिक उत्तरदायित्तवों के प्रति सजग रहता है व अपनी क्षमतानुसार मुंबई उपनगरों से निकलकर भी सहायता हेतु तत्पर रहता है। जैसे सन् २०१९ में महाराष्ट्र के कई इलाकों में अतिवृष्टी के कारण आई बाढ़ से पीड़ितों के लिए खाद्य सामग्री पहुँचाई है; व प्रति-वर्ष अनन्तंचर्तुदशी के दिन उल्हासनगर के ‘गणेश विसर्जन’ की व्यवस्था ड्यूटी में तैनात पुलिस स्टाफ के लिए अल्पाहार, फल व भोजन इत्यादी का वितरण किया जाता है।

चलते चलते यह बताने में बड़े गर्व की अनुभूति हो रही है कि इस सफल यात्रा में अनेक महान विभूतियों नें इस कर्म-यात्रा को समाज उपयोगी बनानें में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है । व वर्तमान में भी निरंतर तन-मन-धन से अपनी सेवाएँ देकर समाज के प्रति विशेषकर ‘शेखावाटी मारवाड़ी समाज’ को एक मंच पर लानें में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहें हैं।

विशेषः प्रति वर्ष वार्षिक महोत्सव का आयोजन सेंचुरी रेयान कॉ ऑप. हाउसिंग सोसायटी के पास, सी ब्लॉक गाउंड में डॉल्फिन क्लब के सामने उल्हासनगर- ३ में फरवरी माह के प्रथम सप्ताह में किया जाता हैं।